कोष्ठबध्दता (जटिल कब्ज) रोग के लिए अचूक और लाभप्रद नुस्खे -बनाकर अनुभव ले |
यह एक प्रसिद्ध रोग है |इसमें मल त्याग के समय अधिक विलम्ब लगता है |कठिनाई से सुखा-सा मल निकलता है | कई बार साथ में खून भी आया करता है|इन्द्रीय की शक्ति क्षीण हो जाती है स्वभाव चिडचिडा सा हो जाता है |सिर दर्द की पीड़ा हमेशा रहती है |दिल धडकता है और शरीर का रंग पिला पड़ जाता है |यदि शिघ्र उपचार नही किया जाता तो बहुत से रोग हो जाते है |सग्रंहणी ,गठिया ,संधिवात ,कंठमाला ,श्वास रोग ,अर्दित ,स्म्रतिभ्रंश ,उन्माद ,मिर्गी आदि रोग हो जाते है |इसी कारण प्राचीन आचार्यो ने कोष्ठबध्दता को सब रोगों की जननी बतलाया है |
1-अजवायन के चमत्कार – कोष्ठबद्धता के लिए लिए निम्नलिखित योग बड़ा लाभप्रद और अचूक है | विधि – आवश्कतानुसार अजवायन कूटकर इसके चावल निकाल ले |और 3 दिनों तक आक के दूध में रखे |3 दिनों के बाद छाया में सुखा ले |फिर 2 दिनों तक स्नुही के दूध में तर करे और फिर छाया में सुखाकर के शीशी में डाल ले | आवश्कता पड़ने पर 10-से 20 तक दाने रात को सोते समय थोड़े गर्म पानी के साथ दिया करे |दुसरे दिन प्रातः पाखाना खुलकर होगा |चित प्रसन्न और प्रफुल्लित हो जायेगा |
2.-कब्जनाशक पुडिया – इसके सेवन से स्थाई कब्ज भी दूर हो जाती है |इसकी एक मात्रा खाने से प्रातः समय चित प्रफुलित हो जाता है | पाखाना खुलकर होता है |सिर दर्द,शारीरिक थकावट और चित मलिनता आदि सब दूर होते है |सरल योग है | विधि – जलापा की जड आवश्यकतानुसार लेकर बारीक़ कर ले |इसके बराबर खांड मिलाकर सुरक्षित रखे |जरूरत पड़ने पर सोते समय एक ग्राम की मात्रा गर्म दूध के साथ दिया करे |
3.-सरलोपचार – यह साधारण-सी ओषधि भी ईश्वर क्रपा से गुणों से भरपूर है |में प्रायः लोगो को यही बतलाया करता हु |योग ये है | विधि – काबली हरड की छाल आवश्यकतानुसार पीसकर रख छोड़े |रात को सोते समय 5 से 10 ग्राम तक गर्म दूध या गर्म पानी के साथ दिया करे |प्रातः समय खुलकर मलत्याग होगा |अनुभूत और परीक्षित योग है |
4.-म्रदुविरेचन – कोष्ठबद्धता के लिए बड़ा लाभप्रद और सफल योग है |इसके लेने से किसी प्रकार की घबराहट या व्यग्रता बिल्कुल नही होती है |यथा नाम तथा गुण की लोकोक्ति इसके सम्बन्ध में चरितार्थ होती है | विधि – मस्तगी 3 ग्राम और खांड 6 ग्राम |दोनों को बारीक़ करके एक पुडिया बना ले |यह एक मात्रा है रात को दूध या गर्म पानी के साथ दे |कोष्ठबद्धता दूर हो जाएगी |यदि 3-4 मात्राये निरंतर ली जाये तो सदा के लिए इस रोग से छुटकारा मिल जाता है |हितकर और अनुभूत ओषधि है |
5 .-अकसिरी विरेचन – यह नुस्खा किसी प्रकार की घबराहट पैदा नही करता और मल को पूरी तरह निकाल फेकता है | विधि – जुलाबा 6 ग्राम को बारीक़ पिस करके 6 ग्राम खांड मिला करके प्रातः समय रोगी को ठंडे पानी के साथ फंका दे | परन्तु 1-2 दिन नर्म आहार खिलाये |बाद में विरेचन ओषधि दे ,यदि किसी का आमाशय अधिक सख्त हो तो 10 ग्राम भी दे सकते है |किसी प्रकार से कष्ट नही होता है |बच्चे के आयु और शक्ति के अनुसार दे सकते है |
6.-सन्यासी योग – यह बड़े अच्छे -अच्छे विरेचनो से भी बढ़ -चढ़कर प्रभाव दिखाता है |देखने में तुच्छ और साधारण-सा है परन्तु इसके गुण बहुत बड़े है |विशेषता यह है की एक बार का बना हुआ बहुत समय तक काम दे सकता है | विधि – आवश्यकतानुसार गेहू का आटा लेकर कपड़े में से छान ले और किसी चीनी की प्याली में डालकर इसमें स्नुही का दूध इतना डाले की आटे की गोली बनाने के योग्य हो जाये |2-2 रती की गोलिया बना ले |सुख जाने पर शीशी में रख ले | जरूरत के समय 2 से 4 गोली गर्म दूध के साथ दे |बहुत लाभ होगा \