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शिशुओं को निरोग बनाने वाला ‘हरड़ का घासा’

शिशुओं को निरोग बनाने वाला ‘हरड़ का घासा’

ये तो हम लोग बली भांति जानते ही है के शिशु कमजोर और जल्दी ही किसी बी बीमारी शिकार हो जाने वाले होते हैं। इसी खतरे से बचाये रखने के लिए आज हम आपको एक घरेलू आयुर्वेदिक उपचार बताने जा रहे है, जो की हरड के घसे के बारे में  है, जिसके के सेवन से शिशु हष्ट-पुष्ट व निरोग रहते है। हरड़ को धात्री अर्थात माँ के समान माना गया है। शिशुओ की बहुत सारी समस्याओ से छटकारा मिल जायेगा और उनकी हडियां पुष्ट होगी एवं विकास विकार रहित।

घासे की विधि 

पौष्टिक नाश्ता- एक काबली या बड़ी पिली हरड़ किसी पंसारी से ले और गीले कपड़े से पौंछकर सांफ करके सावधानी पूर्वक रख लें । साफ़ सिल या पत्थर पर एक दो चम्मच पनी के साथ इस हरड़ के पांच सात घिसड़के इस प्रकार दे की हरड़ का छिलका ही घिसे, गुठली नही। गुठली घिसने लगे तब हरड़ को घुमा-फिराकर दूसरी जगह से घिसने लग जाय। घिसने के बाद हरड़ को पानी से छोकर किसी डिब्बी में सुरक्षित रख लेना चाहिए। ऐसा हरड़ का घासा( पानी ) नित्य प्रात: शिशु को नित्य खाली पेट एक या दो चम्मच की मात्रा में दे। ऊपर से एक चम्मच सादा पानी पिला दे। यदि बच्चे को सर्दी पुष्ट जुकाम हो तो कटोरी तनिक गर्म करके उसमे हरड़ का पानी डाल दे जिससे कि पानी का ठंडापन समाप्त होकर वह कोसा हो जाय।

विशेष

1. यह ‘हरड़ का घासा’ जन्म के दूसरे मास से कम से कम एक साल तक अवश्य देना चाहिए। इससे शिशु की रोग प्रतिरोधक शक्ति बढ़ती है।

2. यदि सर्दी के कारण शिशु को हरी -पिली दस्ते आ रही हो तो हरड़ घिसने के बाद उसी पानी में जयकाल के दो-तीन घस्डके लगा देने चाहिए। इससे दस्त बंद हो जायेंगे और सर्दी दूर हो जाएगी।

3. यदि पेट में अफारा या पेट दर्द हो तो हरड़ घिसते समय चार दाने अजवायन के भी उसके साथ घिस ले।

4. यदि बच्चा रो-रोकर कठिनाई से पाखाना करता हो तो हरड़ के पानी के सेवन से वह बिना वेदना के पाखाना करने लग जाता है। मैंने कई बच्चो की यह शिकायत इसके द्वारा दूर करने में सफलता प्राप्त की है।

बड़ो की कब्ज

इसी प्रकार हरड़ का छिलका पानी में रगड़कर हरड़ का घासा बना ले। इसे कुछ ज्यादा मात्रा में नित्य प्रात”खाली पेट पीने से कुछ ही दिनों में पुरानी कब्ज में भी लाभ होता है।

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