Tuesday , 17 December 2024
Home » Uncategorized » आमाशय( पेट ) की बीमारियो का रामबाण

आमाशय( पेट ) की बीमारियो का रामबाण

आमाशय( पेट ) की बीमारियो का रामबाण 

आमाशय ( पेट ) ग्रास नली और ग्रहणी के बीच स्थित होता है ( छोटी आंत का प्रथम भाग ), यह उदर गुहा के बाएं ऊपरी भाग में मौजूद होता है। पेट पोषण नली का फैला हुआ भाग है जो पाचन नली के प्रमुख अंग के रूप में कार्य करता है। आमाशय प्रोटीज़ ( पेप्सिन जैसे प्रोटीन-पाचक एन्ज़ाइम ) और हाइड्रोक्लोरिक अम्ल मुक्त करता है, जो जीवाणुओं को मारते या रोकते हैं। अगर हमारा पेट ठीक से काम न करें तो यह और कई बिमारियों का कारण बन सकता है। निचे दी गयी विधि से आप अपने पेट को रख सकते हैं रोग मुक्त।

तुलसी का उपयोग

तुलसी की चार पत्तियां रोजाना खाने से या पीसकर गोली बना पानी के एक घूंट के साथ निगलने से पेट की बीमारियां नही होती।

विशेष

तुलसी अमृत है। यह उदर रोगों के आलावा फेफड़ों और ह्रदय रोगों से बचाती है। सदैव तुलसी का प्रयोग करने वालों को ह्रदय रोग, रक्त विकार और कैंसर का भय नही रहता।

पेट के कैंसर से बचाव

1. नित्य भोजन के आधा-एक घंटे बाद एक-दो कली लहसुन की कच्ची ही छीलकर चबाया करें। ऐसा करने से पेट में कैंसर नही होता। कैंसर हो भी गया हो तो लहसुन की एक-दो कली पीसकर पानी में घोलकर नित्य खाना खाने के बाद आवश्यकता अनुसार लगातार एक-दो मास तक पिने से पेट का कसर ठीक हो जाता है।

2. दही खाने से पेट में कैंसर की संभावना नही रहती।

3. तनाव-मुक्त रहिये और कैंसर से बचिए। नवीन खोजों के अनुसार कैंसर का प्रमुख कारण मानसिक तनाव है और शरीर के किस भाग में होगा यह मानसिक तनाव के सवरूप पर निर्भर है।

आसानी से खाना पचाने की विधि

खाना खूब चबा-चबाकर ( एक ग्राम को बत्तीस बार चबाते हुए ) और भूख से कम एवं नित्य समय पर खाने से व्यक्ति अपच, अफरा आदि उदर व्याधियों से बचा रहता है। साथ ही पाचनक्रिया ठीक रहती है।

विशेष

भोजन के बाद यदि मनुष्य सीधे ( पीठ के बल ) लेटकर 8 साँस लें, फिर दाहिनी करवट लेकर 16 साँस लें और अंत में बायीं करवट लेकर 32 साँस लें तो इससे भोजन शीघ्र हजम होगा। रुकी हुई वायु मुंह द्वारा डकार के रूप में या गुदा द्वारा अपानवायु के रूप में उसी समय निकल जाती है।

अजीर्ण और पेट रोगों से रक्षा के एक और आसान विधि

भोजन करते समय और मल त्यागते समय दाहिनी नाक से तथा पानी पीते और पेशाब करते समय बायीं नाक से स्वास लेने से अजीर्ण और उदरामय रोग नही होते।

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status