Friday , 19 April 2024
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यकृत एवं पित्ताशय की पथरी का उपाए

यकृत एवं पित्ताशय की पथरी

पित्ताशय एक छोटा सा अंग होता है जो लीवर (यकृत) के ठीक पीछे होता है। पित्ताशय यकृत द्वारा उत्पन्न पित्त को संग्रहित करता है। इसका कार्य पित्त को संग्रहित करना तथा भोजन के बाद पित्त नली के माध्यम से छोटी आंत में पित्त का स्त्राव करना है।पित्त रस वसा के अवशोषण में मदद करता है। कभी कभी पित्ताशय में कोलेस्ट्राल, बिलीरुबिन और पित्त लवणों का जमाव हो जाता है। अस्सी प्रतिशत पथरी कोलेस्ट्राल की बनी होती है। धीरे धीरे वे कठोर हो जाती हैं तथा पित्ताशय के अंदर पत्थर का रूप ले लेती हैं। पथरी का आकार रेत के एक कण से लेकर गोल्फ़ की गेंद तक हो सकता है। पत्थर बन जाने के बाद यह पित्त के प्रवाह में बाधा डालता है।

लक्षण 

इसके कारण बहुत अधिक दर्द तथा लीवर (यकृत) या पेंक्रियाज़ (अग्नाशय) में सूजन हो सकती है। अचानक पेट के दाहिने भाग में जोर का दर्द, पीठ दर्द, जी मचलाना या उल्टियां, पेट फूलना, अपचन, ठिठुरन तथा मिट्टी के रंग का मल होना ये सभी पथरी के लक्षण हैं। पथरी के कारण होने वाला दर्द कई मिनिट से कई घंटों तक हो सकता है। पथरी होने का मुख्य कारण जीवन शैली का स्वस्थ न होना है। गर्भावस्था, मोटापा, डाईबिटीज़, लीवर की बीमारी, सुस्त जीवन शैली, उच्च वसा युक्त आहार और एनीमिया के कुछ प्रकार आदि के कारण भी पथरी का खतरा हो सकता है।

बचाव विधि

बादाम गिरी 6 नग, मुनक्का 6 नग, मगज खरबूजा 4 ग्राम, छोटी इलायची 2 नग, मिश्री 10 ग्राम -इन पांचो को ठंडाई की तरह बारीक़ घोटकर आधा कप पानी में मिलाकर छानकर देने से पित्ताशय की पथरी में चमत्कारी लाभ मिलता है जबकि निम्नलिखित लक्षण रहें- यकृत के निचे दर्द हो, साथ में उलटी होने पर कुछ आराम मिले। पूण: दर्द हो और बराबर बना रहे।

अनुभव

अभी थोड़े समय पहले हमारे मित्र की लड़की को पित्ताशय की पथरी थी और ऑपरेशन की सलाह दी गई। उन्हों ने मुझसे सम्पर्क किया। मैंने उपरोक्त योग सेवन करने को कहा। 10 दिन में लड़की ठीक हो गई। मैंने एक यकृत शूल के रोगी को इस को इस योग का प्रयोग करवाया तो उसे लाभ हुआ।

पित्त पथरी के पथ्य

जौ, मूंग की छिलके वाली दाल, चावल, परवल, तुरई, लोकी, करेला, मोसम्मी, अनार, आंवला, मुक्का, ग्वारपाठा, जैतून का तेल आदि। भोजन सादा, बिना घी-तेल वाला तथा आसानी से पचने वाला करें और योगाभ्यास करें।

अपथ्य

मांसाहार शराब आदि नशीले पदार्थ का सेवन, उड़द, गेंहू, पनीर, दूध की मिठाइयां, नमकीन, तीखे मसालेदार, तले हुए, खट्टे खमीर उठाकर बनाये गए खाद्य पदार्थ जैसे इडली, डोसा, ढोकला आदि। अधिक चर्बी, मसाले एवं प्रोटीन के सेवन से यकृत व प्लीहा के खराब होने की संभावना बड़ जाती है और फलस्वरूप रक्त की शुद्धि नही हो पाती। आत: पाचन में भारी, खासकर तली हुई और अम्ल बढ़ाने वाली चीजो के सेवन से परहेज रखे और भूख के बिना भोजन न करें।

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