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मूलीक्षार बनाने की विधि.

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मूलीक्षार बनाने के लिए मूली के टुकड़े करके उन्हें छाया में सुखा लें। फिर इनको जलाकर राख बना लें। इस राख में 8 गुना पानी मिलाकर 6-7 घंटे रख दें। बीच बीच में हिलाते रहें। इसके बाद ऊपर से निथार दें। इस निथरे हुए द्रव को थोड़ी देर धीमी आंच पर धीरे धीरे पकाएं. नीचे जो मटमैला सा अवशेष बचेगा, वही मूली क्षार है। इसे सुखाकर रख लें। यह अनेक रोगों के लिए उपयोग में लाया जाता है.

यह श्वास रोगों के लिए बहुत ही लाभदायक है. अगर छोटे बच्चे को खांसी है तो 100 मि0 ग्रा0 पावडर को शहद में मिलाकर चटाएं। बड़ा व्यक्ति 1\2 ग्राम पावडर शहद के साथ ले सकता है।

पथरी होने पर मूली क्षार सवेरे सवेरे लें. Kidney stone होने पर मूली का रस एक कप की मात्रा में सुबह सुबह खाली पेट ले लें । इससे आगे चलकर दोबारा पथरी बनने की संभावना भी कम हो जाएगी । पीलिया या jaundice की बीमारी के लिए मूली अमृत है । मूली का रस सवेरे सवेरे एक कप पी लें । दिन में मूली की सब्जी खाएं।

यहाँ पर ये प्रयोग सिर्फ इशारे के लिए दिए हैं. कोई भी बीमारी होने पर अपने चिक्तिसक से परामर्श कर के दवाएं लीजिये.

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