यह वनस्पति समस्त भारतवर्ष के पहाड़ी प्रांतो में पैदा होती है, जैसे- हिमाचल प्रदेश, सिंधु नदी के तट के निकट स्थानों में बहुत अधिक मात्रा में पाई जाती है। ये पश्चिमी बंगाल, शिवपुर, विंध्यांचल, महाबलेश्वर में भी पाये जाते है। इसके अलावा यह राजस्थान के अरावली पर्वत श्रेणियों के पर्वतो में, झरनो और तलेठी गहरे जंगलो के छाया वाले स्थानो पर पैदा होती है। इसको पहाड़ी अनार भी कहते हैं.
विभिन्न भाषाओं में मेनफल के नाम.
हिंदी – मेनफल
संस्कृत – मदनफल
बंगला – मदन, मेनफल
गुजराती – मिन्डल, मिन्डोल
मराठी – मेणफल
तमिल – पुन्गारे
मलयालम – मांगाकायी
कन्नड़ – मंगारे
तेलुगु – मारिंगा
फारसी और अरबी – जोजुल्कै
अंग्रेजी – Tatunarega
Catunaregum spinosh (Thuvb.) Spionsk
मेनफल वृक्ष परिचय.
मेनफल वनस्पति जगत के रुबैसी कुल का मध्यम श्रेणी का वृक्ष है. मेनफल वृक्ष 6 से 15 फीट ऊंचा होता है. यह अधिक विस्तार वाला नहीं होता, परन्तु लम्बा होता है. इसके मुख्य तने के ऊपर की और आमने सामने शाखाएं निकली होती है, इस से इस झाड के ऊपर थोडा भराव दिखाई देता है. मेनफल के झाड का काण्ड हाथ की भुजा जैसा मोटा होता है.शाखा को आडा काट कर देखने पर चार चक्र दिखाई देते हैं. अंतर छाल हरे रंग की तथा टूटने वाली होती है. कांटे 1 से 2 इंच लम्बे होते हैं. इसकी जड़ें श्वेत रंग की और सख्त होती हैं. इसके पत्ते ओवेट प्रकार के होते हैं.
इसके फूल सफ़ेद, पीले तथा आभायुक्त, सुगन्धित तथा 5 पंखुड़ी वाले होते हैं. फूल एक से डेढ़ इंच लम्बे होते हैं. प्रत्येक शाखा से 1 से 3 पुष्प निकलते हैं.इसके फूलों से मोगरे जैसी गंध आती है.
इसके फल 1 से डेढ़ इंच लम्बा तथा 3/4 से 6/4 इंच चोडा और गोल और अखरोट के आकार का होता है. इस फल के भीतर दो खाने होते हैं. इसमें बीज रहते हैं. इसके फूल मार्च अप्रैल में आते हैं, और शीतकाल में इसके फल लगते हैं.
जानिये मेनफल के औषधीय महत्त्व
दमा हो जाने पर-
मेनफल अर्कमूल, मुलेठी का समान भाग मिश्रित चूर्ण दमा की उत्कृष्ट औषधि है। इसे एक बार में आधा चम्मच की मात्रा जल से लेना चाहिए।
[ ये भी पढ़िए Asthma ka ilaj , अस्थमा का इलाज ]
उदर शूल में-
मेनफल के बीज का चूर्ण कांजी अथवा छाछ में पीसकर गर्म करके नाभि के चारो ऒर लेप करने से उदार शूल मिटता है।
Joint Rebuilder – घुटनों का दर्द, कमर का दर्द, सर्वाइकल, साइटिका या स्लिप डिस्क सबकी रामबाण दवा
अनाज रक्षार्थ-
गेंहू अथवा अन्य अनाज आदि में कीड़े लग जाने पर इसके सूखे फल को अनाज में रखने से इसमे कीड़े नहीं लगते है।
शरीर से विष निकालने में-
विष निकालने में भी मेनफल को पानी के साथ रोगी को पिलाने से उल्टी के माध्यम से विष शरीर के बाहर निकल जाता है। इस हेतु मात्र १ ग्राम मेनफल का चूर्ण किसी वैध के निर्देशन में जल से दें।
[ ये नही पढ़िए कब्ज का इलाज , kabj ka ilaj ]
काम पीड़ा कम करने में.
अधिक कामी व्यक्ति मेनफल के बीज को अपने पास रखें तो उसको काम पीड़ा कम सताएगी.
विशेष.
भारतीय वास्तु शास्त्र के अनुसार यह वृक्ष घर की सीमा में होना अशुभ माना गया है. अतः इस पेड़ को घर की सीमा से बाहर ही रखना चाहिए.