ह्रदय रोगों में हितकारी
बेदना अनार, आंवला या आंवला का मुरब्बा, सेव या सेव का मुरब्बा, अंगूर, निम्बू का रस, थोड़ा उष्ण गाय का दूध, जौ का पानी, कच्चे नारियल या दभ का पानी, गाजर, पालक, लहसुन, कच्चा प्याज, छोटी हरड़, सोंफ, मैथीदाना, किशमिश, मुनक्का। गाय के दही से बिलोया शुद्ध घी का सिमित प्रयोग, गेंहू का दलिया चोकर, मोटा आटा, चना और जौ मिक्षित आटे की मिस्सी रोटी, थोड़ी मात्रा में भिगोये चने, किशमिश, भुने चनों का नियमित सेवन, बिना पालिश के चावल, हरी सब्जियां और फल। कम चिकनाई वाले दूध से बने पदार्थ आदि। दोनों समय भोजन के बाद वज्रासन तथा थकान महसूस करने पर स्वसन करे। शाकाहार, योग्य्भ्यास एवं अर्जुन की छल व आंवला, हरड़ जैसी आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियां के सेवन से ह्रदय रोग पास नही फटकते। नियमित व्यायाम के साथ तनाव रहित गहरी नींद और विश्राम तथा संयमित जीवन आवश्यक है और यही स्वास्थ्य की कुंजी है। अत्यधिक तनावग्रस्त रहना व भागादौड़ी और अत्यधिक आराम-पसंदगी दोनों ही प्रवृत्तियाँ उचित नही है। गरीब लोग जो मोटा अनाज खाते है, मोटा कपड़ा पहनते है और मेहनत करते है और प्रकृति के निकट रहते है, उन्हें ह्रदय रोग नही होते।
वर्जित
मांसाहार, मदिरा पान, धूम्रपान न करें। तम्बाकू, कोफ़ी, नशीले पदार्थ, आधुनिक फ़ास्ट फ़ूड और जंक फ़ूड, चाकलेट, केक, पेस्टी, आइसक्रीम आदि, वसायुक्त चर्बी वाले पदार्थ जैसे मक्खन, घी, नारियल तेल, प्रोसेस्ड खाद्य पदार्थ आदि, फ़ूड प्रिजर्वेटिव, दूध से बने पदार्थ जैसे खोये की मिठाइयां, रबड़ी, क्षिखण्ड, मलाई आदि के सेवन से बचें। वास्तव में ह्रदय रोगों के बढ़ने का मूल कारण गलत खान-पान और गलत रहन-सहन है।