औषधीय गुणों से भरपूर होने के साथ पेट और कब्ज के लिए बहुत उत्तम होती हे चोलाई –
[ चोलाई ]
चौलाई की सब्जी का नियमित सेवन करने से वात, रक्त व त्वचा विकार दूर होते हैं। सबसे बडा गुण सभी प्रकार के विषों का निवारण करना है, इसलिए इसे विषदन नाम दिया गया है।
चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, मिनिरल्स और आयरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसमें सोना धातु पाया जाता है जो किसी और साग-सब्जियों में नहीं पाया जाता।
औषधि के रूप में चौलाई के पंचांग यानि पांचों अंग- जड, डंठल, पत्ते, फल, फूल काम में लाए जाते हैं। इसकी डंडियों, पत्तियों में प्रोटीन, खनिज, विटामिन ए, सी प्रचुर मात्रा में है।
चोलाई के स्वाथ्य लाभ –
पेशाब में जलन : पेशाब में होने वाली जलन को शांत करने के लिए चौलाई के रस का कुछ दिनों तक सेवन करने से मूत्रवृध्दि होती है और जलन ठीक होती है।
खूनी बवासीर : खूनी बवासीर हो या मूत्र में खून आता हो चौलाई के पत्ते पीस कर मिश्री मिलाकर शरबत बनाकर 3 दिन लगातार पीजिये।
प्रतिरक्षा प्रणाली को बढावा : ऐमरैन्थ का एक और स्वास्थ्य लाभ यह भी है कि मौजूद आवश्यक विटामिन, खनिज और शक्तिशाली एंटी-ऑक्सीडेंट हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को ठीक रखने में मदद करते है। इसलिए अगर आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है तो आपको चौलाई को लेने पर विचार करना चाहिए।
एनर्जी बूस्टर : कुछ सब्जियों और अनाजों में आवश्यक अमीनो एसिड की कमी होती है, लेकिन चौलाई में लाइसिन बहुत अधिक मात्रा में होने के कारण यह कैल्शियम को अवशोषित करने के लिए शरीर की मदद करता है। इस कारण से चौलाई मांसपेशियों के निर्माण और ऊर्जा के उत्पादन के लिए बहुत अच्छा होता है।
बालों को सफेद होने से रोकता है : अगर आप बालों के असमय सफेद होने से चिंतित हैं? तो आपकी इस चिंता का समाधान चौलाई द्वारा हो सकता है।
पथरी : पथरी में चौलाई का साग चालीस दिनों तक प्रतिदिन खाने पर पथरी गल जाती है।
चर्म रोग : किसी भी तरह के चर्म रोग में इसके पत्ते पीस कर लेप कर 21 दिनों तक लगातार लेप करने से वह ठीक हो जाता है।
शरीर से बहता रक्त रोके : शरीर में अगर कही भी खून बह रहा है और बंद नहीं हो रहा लाल पत्ते वाली चौलाई की जड़ को पानी में पीस कर पी लेने से ही रुक जाता है। एक बार पीने से नहीं रुक रहा तो बारह घंटे बाद दुबारा पीने को कहा गया है।
सूजन को कम करें : ऐमरैन्थ यानि चौलाई के तेल और पेप्टाइड में एंटी-इफ्लेमेंटरी गुण होता है जो दर्द और सूजन को सहजता से कम करने में मदद करता है। यह पुरानी स्थितियों के लिए बहुत महत्वपूर्ण होता है जहां पर सूजन स्वास्थ्य को प्रभावित करता है।
फोड़े-फुंसी : फोड़े-फुंसी पर चौलाई के पत्तों की पुल्टिस बना कर लगाने से फोड़ा जल्द पक कर फूट जाता है। सूजन होने पर उस स्थान पर इसका लेप करने से सूजन दूर होती है।
मोटापा : जैसा की हम जानते हैं कि प्रोटीन रक्त में इंसुलिन के स्तर को कम कर और हार्मोंन की विज्ञप्ति कर आपकी भूख को दबा देता है जिससे की आप भूख को कम महसूस करते हो।
रक्तचाप कम करें : अध्ययन के अनुसार, ऐमरैन्थ में मौजूद फाइबर और फिटोन्यूट्रीएंट्स नामक तत्व रक्तचाप को कम करने में मदद करते है। जिससे यह कोलेस्ट्रॉल, सूजन और रक्तचाप के साथ प्रभावी ढ़ंग से लड़ता है और दिल की सेहत के लिए भी अच्छा होता है।
शरीर में रक्त की कमी दूर करें : औषधि के रूप में चौलाई की जड़, पत्ते और बीज सभी काम में लाये जाते है। इसकी पत्तियों और बीजों में प्रोटीन, विटामिन ए और सी प्रचुर मात्रा में होता है।
कैंसर की रोकथाम : ऐमरैन्थ में मौजूद पेप्टाइड्स श्ारीर में सूजन को दूर करने के साथ कैंसर के विकास को रोकने में भी बहुत मददगार होता है। इसमें मौजूद एंटी ऑक्सीडेंट कोशिकाओं को क्षतिग्रस्त होने से बचाता है जिससे कैंसर को रोकने में मदद मिलती है।
पचाने में आसान : ऐमरैन्थ में मौजूद फाइबर और अमीनो एसिड के कारण यह पचाने में बहुत आसान होता है। इसमें मौजूद फाइबर कारण यह आंतों से चिपके हुए मल को निकालकर उसे बाहर धकेलने में मदद करता है।