आंत्रशोथ (आंतो की सुजन )को दूर करने के लिए आयुर्वेदिक घरेलू उपचार
परिचय –
आंत्रशोथ होने पर रोगी के शरीर में जल की कमी हो जाती है ,रोगी निर्बल हो जाता है ,इससे शोथ के कारण मल के
साथ आँव आने लगती है ,ऐसे में प्रवाहिका की तरह आंव ,मरोड़ का दर्द भी होने लगता है
मादक द्रव्यों के सेवन ,अधिक गले-सड़े फल खाने अथवा बासी भोजन करने और अम्लीय खाद्य वस्तुओ के अधिक
सेवन से प्राय आंतो में शोथ हो जाता है .
उपचार –
आंत्र शोथ की उपचार के लिए रोगी के आहार-विहार पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है ,रोगी को हल्का ,सुपाच्य
आहार देना चाहिए ,भोजन के फलो का रस व हरी सब्जिया अधिक लेनी चाहिए ,गरिष्ट व अम्लीय खाद्य पदार्थ से
तो पर हानिकारक प्रभाव होता है और रोग विकसित होता है
इस रोग में रक्तातिसार की भांति रक्त व आंव का स्राव होता है ,इसलिए रक्तातिसार की तरह उपचार करनी चाहिए
वर्णशोथ को नष्ट करने वाली ओषधि अधिक लाभ पहुच सकती है .
1.-
चीते की छाल ,कुटकी ,इंद्र जो ,हरड ,सोंठ ,पिपरामुल ,दूध वच ,पाठा की समान मात्रा लेकर पिस ले व चूर्ण बना ले
प्रतिदिन दिन में तीन बार इस चूर्ण का जल के साथ उपयोगी करने से रक्तश्राव बंद होता है
2.-
अनार की जड की छाल और कुटज की छाल का क्वाथ बनाकर उसमे शहद मिलाकर पिने से रक्तातिसार बंद हो जाता है
अनार का रस भी इस रोग को शीघ्र नष्ट करता है .
3.-
अतिस ,सोंठ ,बच ,हरड ,नागरमोथा और सहजन की छाल बराबर मात्रा में लेकर क्वाथ बनाकर दो-तीन बार
पिने से भी बहुत लाभ होता है