Tuesday , 19 March 2024
Home » spleen ka ilaj » तिल्ली ( प्लीहा ) बड जाने के कारण लक्षण और ३० घरेलु उपचार – Enlarged Spleen

तिल्ली ( प्लीहा ) बड जाने के कारण लक्षण और ३० घरेलु उपचार – Enlarged Spleen

प्लीहा या तिल्ली (Spleen) एक अंग है जो सभी रीढ़धारी प्राणियों में पाया जाता है। मानव में तिल्ली पेट में स्थित रहता है। यह पुरानी लाल रक्त कोशिकाओं को नष्ट करने का कार्य करता है तथा रक्त का संचित भंडार भी है। यह रोग निरोधक तंत्र का एक भाग है।

प्लीहा शरीर की सबसे बड़ी वाहिनीहीन ग्रंथि (ductless gland) है, जो उदर के ऊपरी भाग में बाईं ओर आमाशय के पीछे स्थित रहती है। इसकी आंतरिक रचना संयोजी ऊतक (connective tissue) तथा स्वतंत्र पेशियों से होती है। इसके अंदर प्लीहावस्तु भरी रहती है, जिसमें बड़ी बड़ी प्लीहा कोशिकाएँ तथा जालक कोशिकाएँ रहती हैं। इनके अतिरिक्त रक्तकरण तथा लसीका कोशिकाएँ भी मिलती हैं।

[ ये भी पढ़िए सफ़ेद दाग का इलाज Safed daag ka ilaj ]

प्लीहा के कार्य

निम्नलिखित हैं :

१. यह गर्भ की प्रारंभिक अवस्था में रक्तकणों का निर्माण करती है, किंतु बाद में यह कार्य अस्थिमज्जा द्वारा होने लगता है। तब यह मुख्यत: कोशिका के रूप में रहती है, जहाँ से रक्तकण संचित होकर रुधिर वाहिनियों में जाते हैं।

२. यहाँ रुधिरकणों का विघटन भी होता है। इसीलिए प्लीहा में लौह की मात्रा अधिक मिलती है।

३. यह प्रोटीन के उपापचय (metabolism) में योग देती है (विशेषत: यूरिक अम्ल के निर्माण में )।

४. यह पित्तरंजकों, पित्तारुण तथा पित्तहरित निर्माण करती है।

[ ये भी पढ़िए bawasir ka ilaj बवासीर का इलाज ]

५. यह पाचकनलिका, विशेषत: रक्तवाहिनियों के कोश का कार्य करती है, क्योंकि भोजन के पाचनकाल में यह संकुचित होकर पाचन के हेतु रुधिर को बाहर भेजती है।

६. इसमें से एक अन्तःस्राव निकलता है, जो आमाशय ग्रंथियों को उत्तेजित करता है।

७. यह रक्तनिस्यंदक के रूप में भी कार्य करती है, जिससे रुधिर में प्रविष्ट जीवाणु छनकर वहीं पृथक् हो जाते हैं और श्वेत कणों (W.B.C.) के जीवाणुभक्षण (phagocytosis) द्वारा अंदर ही अंदर नष्ट हो जाते हैं।

प्लीहा या तिल्ली बढ़ने के कारण :

तिल्ली का बढना ( tilli ka badna )
सरसो का साग, उड़द, कुल्थी, भैंस के दूध से बनी दही आदि खट्टी चीजों के ज्यादा सेवन करने से कफ और रक्त दूषित होकर प्लीहा को अपने स्वाभाविक आकार से बढ़ा देते हैं। इसके अलावा चिकने पदार्थों के ज्यादा सेवन करने से, मलेरिया के बुखार में, दूषित वातावरण में रहने से, भोजन ज्यादा करने के बाद सवारी आदि करने से या ज्यादा मेहनत करने से प्लीहा बढ़ने लगता है।

[ ये भी पढ़िए कैंसर का इलाज Cancer ka ilaj ]

लक्षण :

what is spleen enlargement
अधिक रक्त संचार के कारण बढ़ने वाली तिल्ली में भय, मोह, जलन, भ्रम, शरीर का रंग का बदलना, भारीपन, पितजन्य तिल्ली वृद्धि में प्यास, जलन, मोह, ज्वर तथा शरीर का पीला पड़ जाना आदि लक्षण प्रकट होते हैं। कफजन्य तिल्ली वृद्धि में दर्द का अनुभव कम होता है तथा प्लीहा कठोर, भारी तथा मोटी हो जाती है।

भोजन और परहेज :

फालसे, खजूर, बथुआ, छोटी मूली, सहजना, दाख, बकरी का दूध, लाल चावल, एक साल पुराने चावल, गाय का दूध, हींग, हरड़, परवल, गोमूत्र, बैंगन, केले का फूल, सेंधा नमक, छोटे पक्षियों का मांस तथा जंगली पशुओं का मांस का सूप (शोरबा) इन सभी चीजों को प्लीहा वृद्धि के रोग में लाभकारी माना जाता है।

मछली, सूखा साग, सूखा मांस, मलमूत्र इत्यादि के वेग को रोकना, मैथुन, अत्यधिक कार्य करना, रात में जागना, तथा धूप का सेवन नहीं करना चाहिए।

[ ये भी पढ़िए घुटने के दर्द का इलाज, ghutne ke dard ka ialj ]

Home Treatments for Gout

तिल्ली ( प्लीहा ) बड जाने पर करे यह 30 घरेलु उपचार | Enlarged spleen home remedies in hindi

विभिन्न औषधियों से उपचार-

enlarged spleen treatment natural , enlarged spleen treatment in ayurveda , enlarged spleen home remedies i hindi

1. नींबू :

भोजन करने से पहले नींबू को बीच में काटकर उसके ऊपर नमक लगाकर दिन में 2 बार चूसने से बढ़ी हुई तिल्ली अपने स्वाभाविक आकार में आ जाती है।

लगभग 10-10 मिलीलीटर नींबू और प्याज का रस 14 दिन तक निरन्तर लेने और दाल-चावल या खिचड़ी के सिवाय और कुछ न खाने से तिल्ली वृद्धि खत्म हो जाती है।

[ ये भी पढ़िए किडनी का इलाज, kidney ka ilaj ]

नींबू के अचार को नियमित रूप से खाने से बढ़ी हुई तिल्ली में लाभ होता है।

कागजी नींबू और प्याज के 20 मिलीलीटर रस को एक साथ मिलाकर 2 सप्ताह तक सुबह और शाम पीने से बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है। ध्यान रहें कि इस दौरान खाने से दाल व चावलों का पानी पीना चाहिए।

एक गिलास पानी में एक नींबू को निचोड़कर 1 दिन में 3 बार पीने से तिल्ली की सूजन ठीक हो जाती है।
नींबू बिजौरा का अचार खाने से तिल्ली कटती जाती है।

2. आम : लगभग 70 मिलीलीटर आम के रस में लगभग 15 ग्राम शहद मिलाकर रोज़ाना 3 सप्ताह तक पीने से तिल्ली की सूजन और घाव में लाभ मिलता है। इस दवाई का सेवन करने वाले दिनों में खटाई नहीं खानी चाहिए।

[ ये भी पढ़िए Asthma ka ilaj , अस्थमा का इलाज ]

3. पपीता :

पपीते को नियमित रूप से खाने से तिल्ली का बढ़ना रुक जाता है।

कच्चा बड़ा पपीता लेकर उसे बीच में से इस प्रकार काटना चाहिए कि उसमें 200 या 250 ग्राम सेंधानमक भर सके। इस तरह नमक भरे हुए पपीते को उसी टुकड़े से ढक दें और ऊपर से कपड़ मिट्टी करें और इस पपीते पर गोबर का एक अंगुल मोटा लेप करें। इसके बाद जम़ीन में डेढ़ फुट का गहरा गड्ढा करके, उसमें उपले भर दें और उन उपलों के मध्य में पपीते को रख कर आग जलायें। जब वे उपले जल जायें तब पपीते को निकालकर उसके ऊपर से मिट्टी, गोबर को हटायें और उसमें से नमक निकालकर बारीक पीसकर रख दें।
इस नमक को 5-6 ग्राम की मात्रा में सुबह और शाम 3 सप्ताह तक लेने से तिल्ली तथा जिगर के बढ़ने के रोग में अत्यधिक लाभ होता है।

10 ग्राम कच्चे पपीते के दूध में शर्करा (चीनी) मिलाकर दिन में 3 बार पानी के साथ सेवन करने से जिगर का बढना और प्लीहा तिल्ली के बढ़ने का रोग ठीक हो जाता है।

पपीते का सेवन करने से पीलिया व तिल्ली (प्लीहा) बढ़ने के रोगो में लाभ होता है।

तिल्ली या प्लीहा बढ़ने पर पपीते का रस 1 कप की मात्रा में दिन में 3 बार रोगी को दें। मलेरिया ज्वर में भी पपीते का रस या पपीता खाने से ज्वर (बुखार) के कारण होने वाली उल्टी आदि तुरन्त बन्द हो जाती है।

[ ये भी पढ़िए लीवर का इलाज , liver ka ilaj ]

4. गाजर :

बढ़ी हुई तिल्ली को गाजर के अचार के सेवन से कम किया जा सकता है।

5. करेला : 1 कप पानी में 25 मिलीलीटर करेले का रस मिलाकर रोज़ाना पीने से बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है।

6. बैंगन : ताजे लम्बे बैंगन की सब्जी खाने से बढ़ी हुई तिल्ली में आराम मिलता है।

7. अजवायन :

<> सुबह 2 कप पानी को मिट्टी के बर्तन में लेकर इसमें 15 ग्राम अजवायन को डालकर दिन में घर के अन्दर और रात में खुले में रख दें। अगले दिन सुबह उठकर इसे छानकर पियें। इसका प्रयोग लगातार 15 दिनों तक करने से बढ़ी हुई तिल्ली का बढ़ना कम हो जाता है। केवल अजवायन का भी प्रयोग किया जा सकता है।

अजवायन, चित्रक मूल की छाल, दन्ती और बच को एक साथ मिलाकर चूर्ण बना लें। रोजाना इस चूर्ण को 3 ग्राम दही के पानी से सेवन करने से या 6 ग्राम गोमूत्र के साथ जवाखार लेने से बढ़ी हुई तिल्ली निश्चित रूप से कम हो जाती है।

8. मिट्टी : 1 महीने तक गीली मिट्टी पेट पर लगाने से तिल्ली का बढ़ना बन्द हो जाता है।

9. बथुआ : बथुए को उबालकर उसका उबला हुआ पानी पीने या कच्चे बथुए के रस में नमक डालकर पीने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है। इसके अलावा इसका सेवने करने से जिगर, तिल्ली, अजीर्ण, गैस, कृमि, दर्द, बवासीर और पथरी आदि रोग भी ठीक हो जाते है।

[ ये नही पढ़िए कब्ज का इलाज , kabj ka ilaj ]

10. हींग :

हींग, एलुवा, सुहागा, सज्जी सफेद और नौसादर को बराबर मात्रा में लेकर घीकुवार के लुआब में बेर के बराबर गोलियां बना लें। यह 1-1 गोली प्रतिदिन तिल्ली के रोगी को देने से तिल्ली का बढ़ना बन्द हो जाता है।

हींग, सोंठ, सेंधानमक और भुना हुआ सुहागा को बराबर मात्रा में लेकर सहजन के रस में मिलाकर जंगली बेर के बराबर गोली बनाकर सुबह और शाम को 1-1 गोली देने से बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है।

11. सहजन की जड़ : सहजन की जड़ को पीसकर उसमें कालीमिर्च और जवाखार को शहद में मिलाकर खाने से तिल्ली, जिगर और पेट का दर्द आदि ठीक हो जाते हैं।

12. हरीतकी (हर्रे) :

लगभग 2 से 4 ग्राम हर्रे के चूर्ण को चीनी के साथ सुबह और शाम खाने से पित्त की वृद्धि रूक जाती है।

बड़ी हर्रे, रोहितक की छाल और छोटी पीपल के काढ़े को एक साथ लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से कम की मात्रा में जवाखार या यवाक्षार के घोल के साथ मिलाकर सुबह-शाम पीने से बढ़ी हुई तिल्ली ठीक हो जाती है।

[ ये भी पढ़िए जोड़ो के दर्द का इलाज  jodo ke dard ka ilaj, Joint pian ka ilaj, जॉइंट पेन का इलाज ]

हर्रे (हरीतकी) के साथ लगभग 3 ग्राम से 6 ग्राम सरफोंका की जड़ को लेने से जिगर तथा तिल्ली की वृद्धि रुक जाती है।

13. कुटकी : शरीर में पित्त के द्वारा उत्पन्न जलन या बुखार हो तो लगभग आधा से एक ग्राम कुटकी के चूर्ण को शहद के साथ सुबह और शाम रोगी को चटाने से बहुत लाभ मिलता है।

14. अदरक : लगभग 1 से 3 मिलीलीटर अदरक के रस को पानी के साथ मिलाकर पीने से तिल्ली की वृद्धि ठीक हो जाती है।

15. गुरुच : लगभग आधा से 2 मिलीलीटर गुरुच के रस को शहद के साथ रोगी को देने से तिल्ली की वृद्धि रुक जाती है।

16. आक (मदार) :

आक की जड़ की छाल को लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से कम की मात्रा में सुबह और शाम प्रयोग में लेने से तिल्ली की वृद्धि तथा इससे होने वाले अन्य रोग भी खत्म हो जाते हैं।

[ ये भी पढ़िए गठिया का इलाज , gathiya ka ilaj]

लगभग एक ग्राम के चौथाई भाग से कम की मात्रा में आक के दूध में बतासे डालकर रोजाना सुबह खाने से तिल्ली से उत्पन्न होने वाले सभी रोगों में लाभ प्राप्त होता है।

17. जलमाला (सुकूल) : जलमाला के ताजे पत्तों का रस लगभग 50 से 100 मिलीलीटर की मात्रा में रोजाना सुबह रोगी को देने से बढ़ी हुई तिल्ली के रोग में लाभ मिलता है।

18. भंगरैया (भांगरा) : लगभग 10 मिलीलीटर भांगरे के रस को सुबह और शाम रोगी को देने से तिल्ली का बढ़ना बन्द हो जाता है।

19. धाय : लगभग 2-3 ग्राम धाय के फूलों का चूर्ण, चित्रक मूल चूर्ण, हल्दी चूर्ण व मदार का पत्ता लेकर इनमें से किसी एक का भी सेवन 50 ग्राम गुड़ के साथ करने से प्लीहा रोग नष्ट हो जाता है। ENLARGED SPLEEN, SPLEEN,

20. द्रोणपुष्पी :

द्रोणपुष्पी की जड़ का चूर्ण आधा चम्मच की मात्रा में एक ग्राम पीपल के चूर्ण के साथ सुबह-शाम कुछ हफ्ते सेवन करने से तिल्ली बढ़ने के रोग में लाभ होता है।

21. मूली : मूली की जड़ों को छोटे-छोटे टुकड़ों में काटकर उसे सिरका मे डालकर उसमें आवश्यकतानुसार भुना जीरा, नमक और कालीमिर्च मिलाकर 1 सप्ताह तक धूप में रखकर अचार बना लें। 25 ग्राम रोजाना सुबह इस अचार को खाने से तिल्ली का बढ़ना (प्लीहा वृद्धि) दूर हो जाता है।

22. सप्तपर्ण : 1 से 3 ग्राम सप्तपर्ण के पंचांग (जड़, तना, पत्ती, फल और फूल) का चूर्ण 100 मिलीलीटर दूध या 14 से 28 मिलीलीटर घीकुंआर के रस के साथ दिन में 2 बार लेने से तिल्ली बढ़ने के रोग में आराम मिलता है। ENLARGED SPLEEN, SPLEEN,

23. शरपुंखा:

शरपुंखा की जड़ के 10 ग्राम चूर्ण को 250 मिलीलीटर छाछ के साथ दिन में 2 बार पीने से बढ़ी हुई तिल्ली कम हो जाती है।

जिगर और तिल्ली के बढ़ना शरपुंखा की जड़ को दातुन की तरह चबाकर इसका रस अन्दर पेट में उतारने से बहुत लाभ होता है।

जिगर और प्लीहा वृद्धि में शरपुंखे की जड़ की 10 से 20 ग्राम चूर्ण का प्रयोग 2 ग्राम हरड़ और एक गिलास छाछ के साथ सुबह-शाम करने से लाभ होता है।

24. ग्वारपाठा : ग्वारपाठे के 14 से 28 मिलीलीटर पत्तों के रस को 1 से 3 ग्राम सरफोंका के पंचांग के चूर्ण के साथ दिन में दो बार लेने से तिल्ली बढ़ने के रोग मे लाभ होता है।

[ ये भी पढ़िए मधुमेह का इलाज , Diabetes ka ilaj, madhumeh ka ilaj ]

25. अलसी : भुनी हुई अलसी को ढाई ग्राम की मात्रा में शहद के साथ लेने से प्लीहा की सूजन में लाभ होता है।

26. भांगरा : अजवायन के साथ भांगरा का सेवन करने से जुकाम, खांसी, प्लीहा, जिगर वृद्धि आदि रोग दूर हो जाते है।

27. लहसुन : लहसुन, पीपरामूल और हर्र को एकसाथ मिलाकर खाने से व ऊपर से एक घूंट गाय का पेशाब पीने से प्लीहा का बढ़ना रुक जाता है।

28. सुहागा : 30 ग्राम भुना हुआ सुहागा और 100 ग्राम राई को एकसाथ पीसकर मैदा की छलनी से छान लें। इसकी आधा चम्मच रोजाना 2 बार पानी से फंकी लें। इसे 7 सप्ताह तक लें। इसे तिल्ली सिकुड़कर अपनी सामान्य अवस्था में आ जाती है, भूख तेज लगती है और शरीर में शक्ति का संचार होता है।

29. अपराजिता : अपराजिता की जड़ बहुत दस्त लाने वाली होती है। इसकी जड़ को दूसरी दस्त लाने वाली और मूत्रजनक औषधियों के साथ देने से बढ़ी हुई तिल्ली और जलंधर आदि रोग मिट जाते हैं और मूत्राशय की जलन भी मिटती है।

30. एरण्ड : एरण्ड के पंचाग की 10 ग्राम राख को 40 मिलीलीटर गौमूत्र में मिलाकर पीने से तिल्ली के बढ़ने का रोग मिट जाता है।

तिल्ली रोग क्या है, तिल्ली अर्थ, तिल्ली बढ़ने के कारण, तिल्ली का इलाज, तिल्ली की दवा, जिगर तिल्ली, तिल्ली रोग के कारण लक्सण ईलाज, तिल्ली का बढ़ना उपचार, enlarged spleen treatment, enlarged spleen pictures,enlarged spleen self test,enlarged spleen treatment natural,enlarged spleen and liver,where is spleen pain felt,ruptured spleen symptoms,spleen location. ENLARGED SPLEEN,

 

[ ये भी पढ़िए हर्दय का इलाज, बी पी का इलाज, cholesterol ka ilaj, कोलेस्ट्रोल का इलाज , हार्ट ब्लोकेज का इलाज, heart blockage ka ilaj ]

 

यही भी पढ़े:

तिल्ली spleen बढ़ जाने पर करे ये उपाय।

Credit:mybapuji.com

 

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

DMCA.com Protection Status